चिट्ठी और फौजी का एक बहुत ही गहरा सम्बन्ध रहा है। अब बेशक मोबाइल के चलने से चिट्ठी का आदान प्रदान थोड़ा बहुत कम हो गया है ,लेकिन पुराने समय में फौजी एक चिट्ठी के माध्यम से अपने परिवार,अपने घर और अपने गाँव से जुड़ा रहते थे।
बॉर्डर पर रक्षा करते हुए हमारे जवान चिट्ठी की प्रतीक्षा करते रहते थे और चिट्ठी आते ही पहले उसको चूमकर माथे से लगाते थे। क्योंकि उसमे उनके परिवारों का प्यार और उनके भाव छिपे रहते थे। लेकिन आजकल के डिजिटल ज़माने में चिट्ठियों का आना जाना कम हो गया है।
आज आपके लिए लेकर आये हैं एक हरयाणवी कविता जिसमे एक फौजी और उसकी घरवाली के बीच वार्तालाप है। एक फौजी अपने परिवार से दूर रहता है अपने देश की रक्षा करता है सरहद पर रहता है और वहां से अपनी पत्नी को चिट्ठी लिखकर घर के और अपने प्यार के हाल पूछता है अपने शहीद हो जाने के बाद अपनी पत्नी से कहता है कि तुम अपनी जिम्मेदारियों को निभाना यही सब है इस चिट्ठी में उसका नाम है चिट्ठी फौजी की तो आइए पढ़ते हैं।
बॉर्डर पर रक्षा करते हुए हमारे जवान चिट्ठी की प्रतीक्षा करते रहते थे और चिट्ठी आते ही पहले उसको चूमकर माथे से लगाते थे। क्योंकि उसमे उनके परिवारों का प्यार और उनके भाव छिपे रहते थे। लेकिन आजकल के डिजिटल ज़माने में चिट्ठियों का आना जाना कम हो गया है।
आज आपके लिए लेकर आये हैं एक हरयाणवी कविता जिसमे एक फौजी और उसकी घरवाली के बीच वार्तालाप है। एक फौजी अपने परिवार से दूर रहता है अपने देश की रक्षा करता है सरहद पर रहता है और वहां से अपनी पत्नी को चिट्ठी लिखकर घर के और अपने प्यार के हाल पूछता है अपने शहीद हो जाने के बाद अपनी पत्नी से कहता है कि तुम अपनी जिम्मेदारियों को निभाना यही सब है इस चिट्ठी में उसका नाम है चिट्ठी फौजी की तो आइए पढ़ते हैं।