नई दिल्ली (03 जून): कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज अपना पदभार संभाल लिया। कार्यभार संभालने के बाद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मैं पीएम का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने मुझे फिर से इस मंत्रालय का भार दिया। मैं कानून मंत्री के तौर पर पोस्टमैन की तरह काम नहीं करूंगा। मैं सुप्रीम कोर्ट से सलाह विचार करूंगा पर मेरा दफ्तर केवल पोस्ट आफिस नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि 1500 कानून जो बेकार हो चुके थे उसे खत्म किया और ऐसे कानून देखेंगे जिसे खत्म किया जा सकता है।
पदभार संभालने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि उनका मंत्रालय पोस्ट ऑफिस की तरह काम नहीं करेगा और न ही वो खुद पोस्टमैन की तरह काम करेंगे। उनका इशारा हायर जुडिशरी में जजों की नियुक्ति को लेकर था। जहां कॉलिजियम के द्वारा भेजे गए नामों को कानून मंत्री के रूप में उनके मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर के मामले में सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम द्वारा भेजे गए नामों को कानून मंत्रालय चाहे तो लौटा सकता है।
हालांकि कॉलिजियम अगर वही नाम भेजता है तो कानून मंत्रालय को कॉलिजियम की सिफारिश पर मुहर लगानी पड़ती है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ज्यूडिशरी में खाली पदों को भरना उनकी प्राथमिकता है।कानून मंत्री ने यह भी कहा कि पिछ्ले कार्यकाल में सरकार ने 1500 ऐसे कानून जो बेकार हो चुके थे उसे खत्म किया गया है और ऐसे बेकार कानूनों को खत्म किया जाएगा।
अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन को लेकिन रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह सरकार की प्राथमिकता में है और इसके लिए संबंधित स्टेक होल्डर्स राज्य सरकारों से बात किया जाएगा।गौरतलब है कि निचली अदालतों में जजों के चयन और उनकी नियुक्ति की जिम्मेदारी हाई कोर्टो और संबंधित राज्य सरकारों की होती है। लेकिन सरकार निचली अदालतों में नियुक्ति के लिए काफी समय से अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की पैरवी कर रही है।