जिस तरह से आज के लोकडाउन के समय मे हमारा डाक विभाग और हमारे कर्मचारी जिस तरह से काम में लगे हुए हैँ उन्हें देखकर एडमिन को हरिवंशराय बच्चन साहब की एक कविता याद आती है।
आइये मिलकर पढ़ते हैं
धरा हिला, गगन गुंजा
नदी बहा, पवन चला
विजय तेरी, विजय तेरी
ज्योति सी जल, जला
भुजा-भुजा, फड़क-फड़क
रक्त में धड़क-धड़क
धनुष उठा, प्रहार कर
तू सबसे पहला वार कर
अग्नि सी धधक-धधक
हिरन सी सजग-सजग
सिंह सी दहाड़ कर
शंख सी पुकार कर
रुके न तू, थके न तू
झुके न तू, थमे न तू
सदा चले, थके न तू
रुके न तू, झुके न तू
कवि – स्व. हरिवंश राय बच्चन | Late Harivansh Rai Bachchan
आइये मिलकर पढ़ते हैं
धरा हिला, गगन गुंजा
नदी बहा, पवन चला
विजय तेरी, विजय तेरी
ज्योति सी जल, जला
भुजा-भुजा, फड़क-फड़क
रक्त में धड़क-धड़क
धनुष उठा, प्रहार कर
तू सबसे पहला वार कर
अग्नि सी धधक-धधक
हिरन सी सजग-सजग
सिंह सी दहाड़ कर
शंख सी पुकार कर
रुके न तू, थके न तू
झुके न तू, थमे न तू
सदा चले, थके न तू
रुके न तू, झुके न तू
कवि – स्व. हरिवंश राय बच्चन | Late Harivansh Rai Bachchan