आज भारत एक नौजवान देश है, लेकिन करोड़ों की संख्या में नौजवानों को कुछ दशकों बाद वित्तीय सुरक्षा की जरूरत होगी. रिटायरमेंट (Retirement) के बाद पैसे की कमी न हो और अपनी मर्जी से जीवन जीने की आजादी मिले,
इसके लिए पेंशन की प्लानिंग जरूरी है. इसके लिए बहुत सारे प्लान हैं और विशेषज्ञ तरह तरह की सलाह देंगे, लेकिन रिटायरमेंट प्लानिंग का महामंत्र बहुत सरल है- कमाइये अधिक और खर्च कीजिए कम. बचत पर जोर तो कई विशेषज्ञ देते हैं, लेकिन समझने वाली बात ये है कि बचत तभी होगी, जब खर्च कम होगा. खर्च करने की बात बाजार को अटपटी लगती है, क्योंकि बाजार खर्च पर टिका हुआ है. जानेमाने निवेशक क्रिस सस्का युवाओं को कंजूस बनने की सलाह देते हैं. वे कहते हैं कि आज कंजूसी का मतलब है कि भविष्य में बहुत अधिक आजादी और च्वाइस. आइए इस बात को विस्तार से समझते हैं.
रिटायरमेंट प्लानिंग की गणित
मान लीजिए आपको अपनी बचत पर 5% ब्याज मिल रहा है, रिटायरमेंट के समय आप अपनी जमा राशि को कम किए बिना ब्याज से नियमित आय (पेंशन) चाहते हैं. अब यदि कर चुकाने के बाद आपकी सालाना आय 9 लाख रुपये हैं और आपका खर्च सिर्फ 2 लाख रुपये हैं, तो आपको रिटायरमेंट का फंड जुटाने के लिए सिर्फ छह साल काम करने की जरूरत होगी. सिर्फ छह साल! लेकिन अगर आपकी आय 9 लाख है और खर्च 8.5 लाख है तो रिटायरमेंट का फंड जुटाने में 60 साल से ज्यादा लग जाएंगे.
ज्यादा बचत, ज्यादा आजादी
इसी तरह अगर आपकी आय 5 लाख है और आप 4 लाख खर्च करते हैं, तो आपको रिटायरमेंट का फंड जुटाने में 36 साल लगेंगे. लेकिन अगर आप अपने खर्च को थोड़ा कम कर लें, और सिर्फ 3 लाख ही खर्च करें, तो आपको 21 साल बाद ही वित्तीय आजादी मिल जाएगी. यानी आपकी आय के बराबर आमदनी आपको अपने फंड से मिलने वाले ब्याज से होने लगेगी. ये गणना निवेश पर 5% रिटर्न के आधार पर की गई है. भारत में आमतौर पर आरडी पर भी इससे अधिक रिटर्न मिलता है, यानी आपका फंड ज्यादा बड़ा होगा और आप अपनी मर्जी से जिंदगी जी सकेंगे. बस कुछ साल तक आपको खर्च में कटौती करनी होगी.